चलो
खुदसे
एक समझौता करते है
मुझे नींद आ जाये
कुछ ऐसा करते है
जो कुछ मुझे सताता है
तुम्हें नही
उससे तौबा करते है !
गली, नुक्क्ड़ पर
बारात आयी थी जो
कभी
प्रीत की
उसे विदा करते हैं
तुम हवा के साथ बहती हो
जैसा कि अजीज दोस्त हैं वो तुम्हारा
उसीके पास रख लो
-अपनी मेरी यादे-
खुदा से एक यही दुआ करते है !
_रवीन्द्र भारद्वाज_