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शनिवार, 6 अप्रैल 2019

इन कजरारी आँखों ने - 2

बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया 
तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने 

पहले तो नेह का समन्दर दिखाए 
जिसमे डुबकी अनायास मैं भी नही लगाना चाहता था 
मगर तुमने तो मजबूर ही कर दिया 

मेरा जीवन सार्थक न लगा 
मुझे ही 
जब उसी समन्दर में रक्त दिखे उनके 
जो फँसकर मर चुके थे 
मुझसे पहले कई

चित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

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