ठहर जाओ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ठहर जाओ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

ठहर जाओ

मेरी नजर में, तू है 
तेरी नजर में, मैं 

अब जाना कहां..
भूलता जा रहा हूँ मैं यह 

शाम ढलने को है 
डर लग रहा है 
फिरसे तन्हा होनेवाला हूँ मैं.

एकबारगी 
ठहर जाओ 
मेरे घर 
घर का कोना-कोना 
हँसने लगेगा 
चल चलो न अपने घर 
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...