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सोमवार, 3 दिसंबर 2018

मुझे तुम नही मिले..

मुझे तुम नही मिलें 
ना तुम्हारा नसीब मिला 

तुम खो गये अचानक से 
मेरे साथ चलते-चलते 
पल दो पल का तो सफर रहा 

माना अजनबी चेहरे को पढना होता है बार-बार 
पर धोका होने या मिलने का 
तुम्हारे मन में हमेशा संशय बना रहा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...