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सोमवार, 19 नवंबर 2018

काश !


काश !
रातें तेरी
मेरी बाहों में कटती

मैं जुल्फों में
ऊँगली फेरता तेरे

माथे को चूमता
प्यार जताने को तेरे

तुम्हे कविता सुनाता
सुनकर
काश ! तुमको प्यार आता बहुत मुझपर
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...