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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

अंदाजा लग जायेगां तुम्हें

मेरे प्यार के वादियों से 
गुजरों
किसीदिन 

अंदाजा लग जायेगां तुम्हें 
कि कितना प्यार करता था मैं 
तुमसे 

नजरें बिछाए रखी मैंने कालीन सी 
एक उम्र तक 

उस उम्र तक 
तुम आशना थे 
मैं आवारा 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...