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मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

चाँद उतर रहा है

Art by Ravindra Bhardvaj 


चाँद उतर रहा है
चाँदनी की सीढ़ी लगाकर
मेरे अंगना में।

मैं खोई खोई सी रहती हू
आजकल कुछ ज्यादा ही
शायद इसीलिये आया है मुझे अपना पता ठिकाना बताने।
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...