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रविवार, 13 जनवरी 2019

तुझसे बिछड़कर


तुझसे बिछड़कर
खुश तो नही हूँ मैं

पर
लगता था
जिन्दा नही रह पाउँगी मैं
तुमसे अलग होकर

लेकिन अबभी देखो न
जिन्दा हूँ मैं

बात तबकी हैं
जब बात बनने ही वाली थी
हमदोनो लगभग मिल ही जानेवाले थे
एक-दुसरे के गले.

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...