रास्तें याद रहेंगे
बातें इन्ही वादी में गूंजेंगी
मुस्कान ख़ुशबू की तरह
बिखरी पड़ी
मिलेंगी
तुम्हारी
इतनी खुबसुरत हो यार तुम
कि
अप्सराओं को भी तुमसे जलन हो जाये
इतनी खुशियाँ हैं लबो पे तुम्हारे
कि
सदियों मैं सोच-सोच ये
कि
कैसे मुस्काई थी तुम उसदिन
मुझे देखकर
मुस्कुराता रहूँगा
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज