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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

मुस्कुराता रहूँगा

रास्तें याद रहेंगे 
बातें इन्ही वादी में गूंजेंगी 

मुस्कान ख़ुशबू की तरह 
बिखरी पड़ी 
मिलेंगी 

तुम्हारी 

इतनी खुबसुरत हो यार तुम 
कि
अप्सराओं को भी तुमसे  जलन हो जाये 

इतनी खुशियाँ हैं लबो पे तुम्हारे 
कि
सदियों मैं सोच-सोच ये 
कि
कैसे मुस्काई थी तुम उसदिन 
मुझे देखकर 

मुस्कुराता रहूँगा

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...