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मंगलवार, 1 जनवरी 2019

आगामी वर्ष की शुभकामनाएं !

Art by Ravindra Bhardvaj

एक 

तुम्हे रुकना होता तो
रुक गये होते मेरे घर

आलमारी में
तहा के
करीने से
रख दिए होते अपना वस्त्र

अब देर हो चुकी है
और तुम नही लौटोगीं
मेरा खैर-खबर लेने

पेड़
पगडंडी
खेत
और तालाब
अपने गाँव से
निकाले हुए लगते हैं
ठीक मेरी तरह


दो 

इस साल की विदाई हो रही है
आगामी वर्ष में
कुछ
-बहुत कुछ अच्छा होने का कयास लगा रहा है हरकोई

हरकोई कही न कही खुश हैं
तिनके जितना

पर अपनी व्यथा तुमसे क्या कहू
जिसे सुनना था वो बुझना ही नही चाहता

फिरभी
आगामी वर्ष की शुभकामनाए !
आप सभी को
और तुमको भी प्रिये !
सहृदय..
-रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...