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सोमवार, 10 सितंबर 2018

तुझे नही मालूम

Art by Ravindra Bhardvaj
तेरी आँखों मे 
चांद चमकता है

तेरी बातो मे
गम पिघलता है

मुझे नही मालूम
मै तुम्हे क्यू नही अच्छा लगता

कभी
इस बारे मे भी
कुछ तो बोल पगली !

तुझे नही मालूम
तु किस तरह से छायी है मुझपर
रात के आसमान
और दिन के छत की तरह.. पगली !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...