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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

यादें

Image result for कागज की कश्ती बारिश का पानी
सदियाँ बीती
बतियाँ बीती
बीते जीवन के
सुख, चैन

बीते वक्त में
यादों के लम्हे
कागज की नाँव होती हैं
स्मृति के पानी पर
तैरती रहती हैं जो
हररोज़.

हररोज़ ही डूब जाती हैं
ये यादें
जानबुझकर
या जाने-अनजाने में ही
अवसाद की लहरों से ठोकर खा 
औंधे मुँह

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 


सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...