एक तरफ़ा सफ़र मैंने तय किया
प्यार में
था भरोसा
एकदिन प्यार हो जायेगां तुम्हें
मेरे प्यार पर
और हम साथ-साथ चलेंगें
लेकिन नही
हुआ
मेरा सोचा
कहते भी हैं लोग
कि सोचा सच नहीं होता कभी
मैंने सहस्रों कविताएँ रच डाली
चित्र भी
पर शायद इतना काफी न था
मेरी सृजनशीलता
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार