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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

अब



अब शिकवा नही
       शिकायत नही

अब आरजू नही
       चाहत नही

अब अपने नही
       बेगाने नही

जिसदिन से तुम चले गये
मेरा घर छोड़कर..

कोई जाना-पहचाना नही मेरा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...