मुझे तेरी चाहत की कसम
जबतक जिऊंगा
तुम्हारे इश्क़ में जिऊंगा
मुझे किसकी परवाह किसकी फ़िक्र
जबतक ना मौत आये
तुम्हे अपने सीने से लगाने के लिए
तकदीर से लडूंगा
मानांकि
मेरा कोई हक नही बनता तुमपर
पर तुम्हे छोड़ दू
ये सोचकर
कि मेरे गैर तुम्हारे अपने तुम्हारा ख्याल रखेंगे
ऐसी बातों पर मुझे विश्वास नही तनिक
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज