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रविवार, 23 दिसंबर 2018

वो मुस्कान

Art by Ravindra Bhardvaj
पहली मिलन पर 
खिली चेहरे पर तुम्हारे मुस्कान 
आज भी महकती है 
मानांकि वो फूल नही 
फिरभी 
महकती है..

मेरी आत्मा तक में 
समाई है 
उसकी खुश्बू 

दूसरा मिलन 
अभी हुआ नही 
वरना 
वो मुस्कान 
बिखर जाती 
गमगीन हुए हवा में.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...