न चाहते हुए भी
मैं उससे प्रेम कर रहा हूँ
न चाहते हुए भी
मैं उसका इंतजार कर रहा हूँ
हालांकि
वो हाथ छुड़ा जबरन
चल दी थी
मुद्दत पहले.
पर न जाने क्यू
अबभी मुझे लगता हैं कि
वो रातों में सोती नही होगी
ठीक से .
और रोती होगी
जब-जब उसके छातीं में
मेरी यादो की ख़ुशबू समाती होंगी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज