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रविवार, 11 नवंबर 2018

तुम मिलते नही तो


हम तन्हाईओ में
तुझे ढूढ़ते रहे

हम रुशवाईयों में
तुझे पुकारते रहे


तुम मिलते नही तो
अफसानां ना बना होता
कोई

कोई दर्द भी न होता
इतना बेदर्द.
रेखाचित्र व कविता -रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...