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शनिवार, 5 जनवरी 2019

गीत, गज़ल के जमाने चले गये

Art by Ravindra Bhardvaj
गीत, गज़ल के ज़माने 
चले गये

जितने भी थे मीत पुराने 
चले गये 

लौटकर नही आये 
जो चले गये 

सबके सब बिन कुछ बताये 
चले गये

देखना हैं अंजाम-ए-मोहब्बत क्या होगा 
मेरे हमनवाँ तक जब चले गये

लक्ष्मण-रेखा नही था जाने से पहले 
खीचते हुए चले गये
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...