उसके नैनो का तीर
मेरे ह्दय के पार हुआ.
मुझे भी प्यार हुआ
और उसे भी प्यार हुआ.
मुझे खोये रहने दो सपनो में
बहुत सच्चा लगता हैं ये व्यापार हुआ.
न सुनाओ अखबार की खबरे कि
यहाँ बलात्कार, वहाँ कत्ल सरेआम हुआ.
मुझे उससे राब्ता उसे मुझसे
अब क्या कहे तुम्हे 'गुरुदेव' प्यार हुआ.
रेखाचित्र व ग़ज़ल - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुदेव - यह उपनाम हैं मेरा, मित्र सम्बोधित करते हैं