तेरे दर से चले थे
ये सोचकर कि
तू मुझे रोक लेगी
बुलाया भी तूने था
और भगाया भी तूने था
प्यार तुमसे होने के बाद
मैं तेरा कैदी हो गया था
इसलिए उम्रकैद की सजा मंजूर थी
तेरे साथ जीने-मरने की
हर हालत में
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार