तेरे दर से चले थे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तेरे दर से चले थे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 8 मई 2019

तेरे दर से चले थे

Image result for तेरे दर से
तेरे दर से चले थे 
ये सोचकर कि
तू मुझे रोक लेगी 

बुलाया भी तूने था 
और भगाया भी तूने था 

प्यार तुमसे होने के बाद 
मैं तेरा कैदी हो गया था 

इसलिए उम्रकैद की सजा मंजूर थी 
तेरे साथ जीने-मरने की 
हर हालत में 

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...