नदी को कब रोका था मैंने
वह बहती ही रही
अनवरत
पर मुझे अपने अंदर नही रहने दी
हालांकि शीतलता, निर्मलता बहुत गहरे
तक थी
उसमे.
एक भूल या गलती थी मेरी कि
मेरे आस-पास भी नही भटकती दिखती
तुम्हारी रूह.
हालांकि
मुझसे जबरन लिपटी रही थी
सदियों तक
तुम्हारी रूह.