तुम्हें भूला सकना
मेरे वश में नही
नही है
मौत भी
मुकम्मल अभी
रस्ते घर गलियाँ
गुजरती है
तुझमें से ही
मुझमे
लगता है
बस मैं ही मैं नही
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...