तुम्हें भूला सकना
मेरे वश में नही
नही है
मौत भी
मुकम्मल अभी
रस्ते घर गलियाँ
गुजरती है
तुझमें से ही
मुझमे
लगता है
बस मैं ही मैं नही
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
बेहद खूबसूरत अच्छी रचना पढ़वाने के लिए आभार...!
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार आदरणीय सराहना हेतु
हटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/05/2019 की बुलेटिन, " १ मई - मजदूर दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ब्लॉग बुलेटिन में इस रचना को संकलित करने के लिए आभार आदरणीय सादर
हटाएंबहुत सुंदर रचना। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंiwillrocknow.com
अत्यंत आभार आदरणीय
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार जी आपका सादर
हटाएं🙏🙏🙏
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका सादर
हटाएं🙏🙏🙏
सुन्दर कृति।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय सादर
हटाएंरस्ते घर गलियाँ
जवाब देंहटाएंगुजरती है
तुझमें से ही
मुझमे...
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !!!
ह्दयतल से आभार आपका
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