शनिवार, 17 सितंबर 2022

सोचता हूँ..

सोचता हूँ..
तुम होते यहाँ तो 
बहार होती
बेरुत भी 

सोचता हूँ..
तुम्हारा होना , न होना 
ज्यादा मायने नही रखता
यार ! 
यादों का भी साथ बहुत होता हैं 
भेड़ो से भागते हुए जिंदगी में।

_रवीन्द्र भारद्वाज_

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...