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मंगलवार, 12 मार्च 2019

ओ परी !

ओ परी !
बड़ी प्यारी लग रही हो आज !

आज फिजाओं में मस्ती हैं 

और सागर पर फेनिल लहरे 

मेरे हाथ में काश ! तुम्हारा हाथ होता !
दौड़ते-दौड़ते लगा देते डूबकी
इश्क़ के खारे पानी में 

और धूप में लेटकर 
कविता गुलजार की 
और अख्तर साहब की 
सुनाता 
तुम्हें 
यह एहसास तुमको हो जाता 
कही न कही 
मैं भी शायर बन चुका हूँ 
तुम्हारे इश्क़ में पड़कर

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 


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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...