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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

हमे मिलना ही था !


हम मुद्दत बाद मिले 
बस इसलिए कि
हमे मिलना ही था 

कही ना कही प्यार 
तुम्हारे ह्दय में भी था 
मेरे लिए 
कम से कम एक कटोरे दूध जितना 

लाओ पिला दो 
इश्क 
उतना ही 
कि होश ना रहे हमे 
कम से कम इक उम्र तक.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...