प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
बुधवार, 31 अक्तूबर 2018
मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018
सोमवार, 29 अक्तूबर 2018
' जहाँ तुम हो, वहाँ मै'
और दूसरा काव्य-संग्रह ' जहाँ तुम हो, वहाँ मै'
https://www.instamojo.com/ravindrabhardvaj/ff8b1b3dc1108c759b7c34b9afa2ab01/
https://www.instamojo.com/ravindrabhardvaj/ff8b1b3dc1108c759b7c34b9afa2ab01/
रविवार, 28 अक्तूबर 2018
मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018
सोमवार, 22 अक्तूबर 2018
रविवार, 21 अक्तूबर 2018
शनिवार, 20 अक्तूबर 2018
शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2018
गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018
बुधवार, 17 अक्तूबर 2018
मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018
सोमवार, 15 अक्तूबर 2018
शनिवार, 13 अक्तूबर 2018
शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018
गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018
बुधवार, 10 अक्तूबर 2018
मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018
सोमवार, 8 अक्तूबर 2018
रविवार, 7 अक्तूबर 2018
शनिवार, 6 अक्तूबर 2018
शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018
मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018
सोमवार, 1 अक्तूबर 2018
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
-
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
-
सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...
-
बसंत को हरकोई देख रहा हैं बसंत हैं ही ऐसा मन को मोह लेनेवाला पलाश को हरकोई देख रहा हैं पलाश हैं ही ऐसा आत्...