प्रिये !
तुम्हे देखने को
बहुत जी करता हैं
तुम मीलों दूर क्यूँ चली गई हो
क्या पास नही रह सकते हम !
वक्त के रवानी में
बह गया
वो सबकुछ
जो बहुत प्यारा लगने लगा था हमें
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...