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मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

फूलों का कांटो का संग है

Art by Ravindra Bhardvaj 
फूलों का कांटो का संग है 


मेरे सबसे अजीज दुश्मन !

मेरे गम से 
क्या तेरा गम कम है !


तू रोक दे 

कोड़े बरसाना 
मुझपर 
दशरथ मांझी का सा फर्ज है !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...