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रविवार, 23 सितंबर 2018

शायद

शायद
वो नही आयेगी
लौटकर..


लौटकर
मै भी नही गया
उसके शहर के तरफ..
कविता व रेखाचित्र - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...