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मंगलवार, 19 मार्च 2019

सुबह खिली

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सुबह खिली 
फूल जैसी 

खुशबू से उसके 
तरो-ताजगी भरता 
हर प्राणी 

पंछी भौरे सा 
बहके-बहके से 
चहके हैं 
मेरे अटारी.

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

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