सुबह खिली
फूल जैसी
खुशबू से उसके
तरो-ताजगी भरता
हर प्राणी
पंछी भौरे सा
बहके-बहके से
चहके हैं
मेरे अटारी.
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
बहुत खूब 👌👌
जवाब देंहटाएंआभार जी सादर
हटाएंबहुत बढ़िया। शानदार।
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट: शाहरुख खान मेरे गाँव आये थे।
iwillrocknow.com
आभार आदरणीय सादर
हटाएंछोटी मगर प्यारी सी कविता !
जवाब देंहटाएंजी आभार..... आदरणीय सादर
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