बुधवार, 20 मार्च 2019

हृदय में लगे चोट का उपचार नही

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हृदय में लगे चोट का उपचार नही 

सुबह-शाम टपकता रहता हैं 
खून 

वक्त भी सफल चिकित्सक नही होता 

यादों और बातों की घाटी में 
बहुरूपिये शिकारियों का राज हो जाता हैं 

तुमको देख ' ला बेली डेम संस मर्सी '
का सा आभास होता हैं 

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

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