सोचता हूँ..
तुम होते यहाँ तो
बहार होती
बेरुत भी
सोचता हूँ..
तुम्हारा होना , न होना
ज्यादा मायने नही रखता
यार !
यादों का भी साथ बहुत होता हैं
भेड़ो से भागते हुए जिंदगी में।
_रवीन्द्र भारद्वाज_
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
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