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बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मेरी जान !

मेरे हित की मत सोचो....मेरी जान !

तुम्हारा अगर हित हो तो मुझसे प्रेम जारी रखो....मेरी जान !

मेरी जान !
सरसों का जोबन देखो 
और आम पर बौर 
कितना रोमांचित कर रहे हैं 
नजरो को हमारे 

आधी रात में उठकर बरसात देखो...
सुनो राग मल्हार 
..प्रेम की थाप पर....मेरी जान !

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 



सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...