बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मेरी जान !

मेरे हित की मत सोचो....मेरी जान !

तुम्हारा अगर हित हो तो मुझसे प्रेम जारी रखो....मेरी जान !

मेरी जान !
सरसों का जोबन देखो 
और आम पर बौर 
कितना रोमांचित कर रहे हैं 
नजरो को हमारे 

आधी रात में उठकर बरसात देखो...
सुनो राग मल्हार 
..प्रेम की थाप पर....मेरी जान !

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 



14 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 14 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1308 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार............आदरणीय
      इस रचना को "पाँच लिंकों का आनंद" में संकलित करने के लिए

      हटाएं
  2. वाह ¡¡
    बहुत सुंदर थोड़ी में बहुत कुछ कहता।

    जवाब देंहटाएं
  3. रुमानी कविता... अच्छी लगी रवीन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सरसों का जोबन देखो
    और आम पर बौर ...बहुत सुन्दर
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...