सोमवार, 18 मार्च 2019

और तुम

चिड़िया
चाँद 
और तुम 

चहकते
दहकते 
रहते हो 
हर बखत

फूल 
आकाश 
और तुम

महकते 
मचलते 
रहते हो 
सतत 

चित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

4 टिप्‍पणियां:

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...