उसके नैनो का तीर
मेरे ह्दय के पार हुआ.
मुझे भी प्यार हुआ
और उसे भी प्यार हुआ.
मुझे खोये रहने दो सपनो में
बहुत सच्चा लगता हैं ये व्यापार हुआ.
न सुनाओ अखबार की खबरे कि
यहाँ बलात्कार, वहाँ कत्ल सरेआम हुआ.
मुझे उससे राब्ता उसे मुझसे
अब क्या कहे तुम्हे 'गुरुदेव' प्यार हुआ.
रेखाचित्र व ग़ज़ल - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुदेव - यह उपनाम हैं मेरा, मित्र सम्बोधित करते हैं
बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत-बहुत आभार ........आदरणीया
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 24 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1287 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
"पाँच लिंकों का आनंद" में यह रचना सम्मिलित करने के लिए आभार ......सहृदय आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार........आदरणीय
हटाएंखुबसुरत रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र.
सहृदय आभार.........आदरणीय
हटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंजी सादर आभार..........
हटाएंबहुत हघ सुन्दर....
जवाब देंहटाएंआभार .........जी सादर
हटाएंवाह्ह्ह.. बहुत सुंदर।.👌
जवाब देंहटाएंजी सहृदय आभार........आदरणीय
हटाएंवाह ! क्या ख़ूब लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंजी सहृदय आभार .........आदरणीया
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