बुधवार, 23 जनवरी 2019

उसे भी प्यार हुआ.

उसके नैनो का तीर 
मेरे ह्दय के पार हुआ. 

मुझे भी प्यार हुआ 
और उसे भी प्यार हुआ. 

मुझे खोये रहने दो सपनो में 
बहुत सच्चा लगता हैं ये व्यापार हुआ.

न सुनाओ अखबार की खबरे कि
यहाँ बलात्कार, वहाँ कत्ल सरेआम हुआ. 

मुझे उससे राब्ता उसे मुझसे 
अब क्या कहे तुम्हे 'गुरुदेव' प्यार हुआ.

रेखाचित्र व ग़ज़ल - रवीन्द्र भारद्वाज 

गुरुदेव - यह  उपनाम हैं मेरा, मित्र सम्बोधित करते हैं 


16 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 24 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1287 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. "पाँच लिंकों का आनंद" में यह रचना सम्मिलित करने के लिए आभार ......सहृदय आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  3. खुबसुरत रचना
    सुंदर चित्र.

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ! क्या ख़ूब लिखा है आपने।

    जवाब देंहटाएं

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