सोमवार, 2 अगस्त 2021

हमारा प्यार

समन्दर उतना गहरा नही 
जितना गहरा हमारा प्यार है !

सात पुस्त की दुश्मनी भले ही आज बरकरार है
मगर गहरे पाताल से भी गहरा हमारा प्यार है !

~ रवीन्द्र भारद्वाज

2 टिप्‍पणियां:

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...