समन्दर उतना गहरा नही
जितना गहरा हमारा प्यार है !
सात पुस्त की दुश्मनी भले ही आज बरकरार है
मगर गहरे पाताल से भी गहरा हमारा प्यार है !
~ रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहनीय सृजन।
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