अब जो आये हो
इतने करीब
न जाना दूर
कभी।
कभी
हमसे अलग होने का ख्याल
न लाना
दिल में।
क्योंकि
इश्क़ होने में
मुद्दत लगता है
और बिछड़ने में
घड़ी भर का समय।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
क्योंकि
जवाब देंहटाएंइश्क़ होने में
मुद्दत लगता है
और बिछड़ने में
घड़ी भर का समय।
मिलने के बाद बिछड़ना नियति है पर बहुत डराता है प्रेमियों को ये पड़ाव।
पर बहुत डरता है प्रेमियों को ये पड़ाव
जवाब देंहटाएंछीन लेता है सब कुछ ये
मन का चैन सुकूँ
भूख और प्यास
आंखों से नींद,
नींदों से ख्याब,
घुट घुट के जीने को बेबस कर देता है
प्रेमियों को ये पड़ाव
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंराग का प्रेम राग |
जवाब देंहटाएंभावों भरी सुन्दर रचना ।
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