रविवार, 8 अगस्त 2021

एक अरसा बाद


तुम आये तो 
लगा 
सावन की पहली बौछार आयी है  !

बहकी-बहकी फ़िजा 
संग अपने 
लायी हो 

एक अरसा बाद 
मैं हँसा था ..

अरसा बाद 
तुम्हें मेरे पास आता हुआ 
देखकर..

~ रवीन्द्र भारद्वाज

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...