गुरुवार, 12 अगस्त 2021

मुझे तुमसे कुछ कहना है..

मुझे तुमसे कुछ कहना है ..

रात के तन्हाई में 
या फिर साँझ के अंगड़ाई लेते समय 

उठते-गिरते लहरों से 
बातें है 
मन व मस्तिष्क में।

कि.. मैंने तुमसे प्रीत किया 
इस कदर 
कि जीने का मकसद ही बदल गया मेरा

और
मेरे प्रीत के बदले में
मुझे क्या मिला !
गम और अवसाद के शिवाय
तुमसे।

अगर तुम इतने बेपरवाह होकर 
जीना चाहते थे तो 
क्यों खड़ा किया तुमने मुझे 
कटघरे में 
...!

~ रवीन्द्र भारद्वाज

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जायज शिकवा प्रिय रविन्द्र जी।!!!!
    बहुत दर्द ठहरा है इस उद्बोधन में!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी सह्दय आभार आपका ...🙏
      आपकी टिप्पणियां पढ़कर मैं बहुत आनन्दित होता हूँ और बढ़िया लिखने की प्रेरणा लेकर...
      मै आपकी टिप्पणियों के लिए प्रतीक्षारत रहता है...
      हाँ, मैं जवाब व आभार नही व्यक्त नही कर पाता हूँ सर्वदा...इसका मुझे अत्यंत खेद रहता है...

      हटाएं

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...