वो चली गयी
भोर की ट्रेन से
हँसते-हँसते
इसबार
उसे थोड़ा सा ही रोना आया
वरना
पहले
रोती थी वो
सुबक-सुबक के
इसबार गम नही
खुशी लेकर गयी है
मुम्बई।
रेखाचित्र व कविता ~ रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइसबार गम नही
जवाब देंहटाएंखुशी लेकर गयी है
मुम्बई।
बहुत बढिया !!!!
रेखाचित्र और कविता दोनों शानदार |
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