मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

न जाने किसकी नजर लगी

तुम मेरी थी 
तब 
जब हम झूठ नही बोला करते थे 

साफ-सुथरी बातों पर
तुम्हारे
हम फिदा थे 

लेकिन न जाने किसकी नजर लगी 
हमारी दोस्ती को 
कि तुम साजिश रचने लगी
हमारे खिलाफ।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

9 टिप्‍पणियां:

  1. भावपूर्ण सृजन रविन्द्र जी |

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