प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शनिवार, 1 फ़रवरी 2020
बुधवार, 22 जनवरी 2020
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
तुम्हारे गाँव से उड़ते आ रहे पंछी
गोधूलि बेला
मन को सहसा याद दिलाये कि
तमाम पाबन्दियों के बावजूद
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
हम तुम्हारे आसमान में
इन्ही पंछी सरीखे
उड़ सकते है
उड़ते रहे है आखिर
एक सदी तक
एक सदी के बाद ही
बदला है वही सब
जो बदलाव तुम देखना चाहती थी।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गोधूलि बेला
मन को सहसा याद दिलाये कि
तमाम पाबन्दियों के बावजूद
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
हम तुम्हारे आसमान में
इन्ही पंछी सरीखे
उड़ सकते है
उड़ते रहे है आखिर
एक सदी तक
एक सदी के बाद ही
बदला है वही सब
जो बदलाव तुम देखना चाहती थी।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 29 दिसंबर 2019
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गुरुवार, 19 दिसंबर 2019
मंगलवार, 17 दिसंबर 2019
शुक्रवार, 29 नवंबर 2019
मुझे लेकर
तेरे जज्बातों के साये में काटनी थी
ताउम्र
पर एक उम्र के बाद
तेरे ख्यालात बदल गए
मुझे लेकर
मुझे लेकर
जिस तीव्र गति से चली थी तुम
लगता था आसमान के पार जाकर ही रुकेंगे।
कहते है
राख के नीचे शोले दबे होते है
मगर वो दिखते नही
और ना ही वो गर्मी प्रदान करते है
कुछ ऐसे ही हम भी रुके है तुम्हारे पास
ठिठुरते हुए।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
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