मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

तो अच्छा होता !

जाने से पहले कुछ कह के जाती 
तो अच्छा होता !

एक बार गले लगाके जाती
तो अच्छा होता !

कोई बात हमारी
अपने दाँतो तले दबा के जाती
तो अच्छा होता !

नही कुछ तो 
कम से कम 
मुस्कुराके जाती 
तो कितना अच्छा लगता 
तेरा जाना !


- रवीन्द्र भारद्वाज

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 18 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...