तुम आये तो
लगा
सावन की पहली बौछार आयी है !
बहकी-बहकी फ़िजा
संग अपने
लायी हो
एक अरसा बाद
मैं हँसा था ..
अरसा बाद
तुम्हें मेरे पास आता हुआ
देखकर..
~ रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...