प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019
तुम्हे मतलब नही
तुम्हे मतलब नही
किसीभी चीज से
मैं जीऊ या मरू इस बात से भी नही
खैर, इतना निर्दयी कसाई भी नही हुआ है
मेरे चौक का
जितना तुम हो गये हो
इतना बेपरवाह वो पहाड़ नही है
जिसके तरफ सुबह-सवेरे खिड़की खोलकर
तुम देखती हो
दो-चार मिनट एकटक
हाँ, बेशक तुम शून्य में नही जीती हो
लेकिन मुझे लेकर
तुम इतनी अवचेतन हो गयी हो क्यो !
- रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019
शनिवार, 28 सितंबर 2019
सोमवार, 16 सितंबर 2019
अफसोस कि
अफसोस कि तुम मुझे हारते देखते रहे
सबसे पहले तुमने ही हराया था मुझे
अपनी दूरियों के जाल को मुझपर फेककर
और जमाना तो हार का मोहताज नही
वो तो जीत का ही जश्न मनाता फिरता है
किसीको हारते देखना
और खुद हारना
दो अलग बातें है
अगले को देखकर गुस्सा आता है
और खुदपर तो बहुत गुस्सा।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 5 सितंबर 2019
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