मंगलवार, 15 अक्तूबर 2019

तुम्हें पा लेते तो क्या होता !

तुम्हें पा लेते तो क्या होता !
शायद खोना पड़ता 
तुम्हें
एकदिन

तुम्हें नही पा सके तो 
क्या हुआ !
कम से कम 
खोने की नौबत तो नही आयी।

-- रवीन्द्र भारद्वाज

4 टिप्‍पणियां:

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...